Sunday, February 10, 2019

Page No. 01 /कोई अर्थ नहीं

नित जीवन के संघर्षों से 
जब टूट चूका हो अंतर्मन 
तब सुख के मिले समंदर का 
रह जाता कोई अर्थ नहीं 

जब फसल सूखकर जल के बिन 
तिनका-तिनका बन गिर जाये 
फिर होने वाली वर्षा का
रह जाता कोई अर्थ नहीं 

संबन्ध कोई भी हों लेकिन 
यदि दुःख में साथ न दें अपना 
फिर सुख में उन सम्बन्धों का 
रह जाता कोई अर्थ नहीं 

छोट-छोटी खुशियों के क्षण 
निकले जाते हैं रोज़ जहां 
फिर सुख की नित्य प्रतीक्षा का 
रह जाता कोई अर्थ नहीं 

मन कटु वाणी से आहात हो 
भीतर तक छलनी हो जाये 
फिर बाद कहे प्रिय वचनों का 
रह जाता कोई अर्थ नहीं 

सुख साधन चाहे जितने हों 
पर काया रोगों का घर हो 
फिर उन अगिनत सुविधाओं का 
रह जाता कोई अर्थ नहीं 





                                                    साभार -- रामधारी सिंह ''दिनकर"


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